नारद मुनि के कथा से प्रारम्भ किया गया रामलीला का मंचन।
गोण्डा कटरा बाजार/ कर्नलगंज के मजरा खेमपुर के तैयबपुर में कई वर्षों से चले आ रहे राम लीला का मंचन इस बार भी सोमवार से शुरू हो गया है जिसमे पहले से चले आ रहे रामलीला के मंचन में नारद मुनि के बन्दर के रूप के बारे में मंचन का आयोजन किया गया और इसकी संपूर्ण जानकारी कुछ इस तरह मंचन के माध्यम से बताया गया।
नारद ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक हैं देवर्षि नारद ने क्रोध में श्री विष्णु को श्राप दे दिया था
देवर्षि नारद बड़े तपस्वी और ज्ञानी ऋषि थे. पुराणों के अनुसार, नारद जी का जन्म ब्रह्माजी के कंठ से हुआ था. नारद ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक हैं. नारद जी को पहले पत्रकार के रूप में भी जाना जाता है. एक बार देवर्षि नारद को बंदर बनना पड़ा था,जानते हैं आखिर क्यों देवर्षि नारद को बंदर का रूप धारण करना पड़ा था.
लक्ष्मी जी के लिए स्वयंवर का आयोजन हुआ था, जिसमें सभी देवता पहुंचे. माता लक्ष्मी मन ही मन में भगवान श्रीहरि को पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं. स्वयंवर में ब्रह्माजी के मानस पुत्र नारद भी पहुंचे थे. नारद जी ने लक्ष्मी जी से विवाह करने की इच्छा जताई. नारद जी को इस बात का आभास था कि राजकुमारी लक्ष्मी जी हरि रूप में ही उनका वरण करेंगी, इसलिए नारदजी भगवान नारायण के पास पहुंच गए और उनके समान सुंदर रूप मांगने लगे.जलाशय में दिखा बंदर जैसा मुंहभगवान विष्णु ने नारद जी को हरि रूप दे दिया. इसके बाद नारद जी स्वयंवर में फिर से पहुंचे. उनको विश्वास था कि लक्ष्मी जी उनके गले में ही हार डालेंगी परंतु ऐसा नहीं हुआ. लक्ष्मी जी ने श्रीहरि के गले में ही हार डाला. इससे उदास होकर नारद जी वापस लौटने लगे, तब उन्होंने जलाशय में देखा कि उनका चेहरा बंदर जैसा नजर आ रहा है. जैसा कि हरि का एक अर्थ होता है वानर. इसलिए जब नारद जी ने विष्णु से हरि रूप देने को कहा, तब उन्होंने नारद जी को वानर का रूप दे दिया था.
लल्लू पांडे ईश्वर दीन पांडे राधेश्याम पांडे मनीराम पांडे चंद्रका प्रसाद पांडे मौजी पांडे पौहना दुबे विरजेश शर्मा धुरूप राम शर्मा दिनेश पांडे प्रदीप पांडेय गौतम पांडे दिनेश गौतम मोहनलाल गौतम रामजीत गौतम बेचूलाल अवस्थी सुरजीत मौर्य रामगोपाल मौर्य के साथ साथ क्षेत्र के अन्य ग्राम उपस्थित रहे।