दुर्वासा ऋषि और राजा अम्ब्रीष की कथा

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 दुर्वासा ऋषि और राजा अम्ब्रीष की कथा ।


एक बार दुर्वासा ऋषि ने अभिमान वश अम्ब्रीष ऋषि को मारने के लिए अपनी शक्ति से एक सुदर्शन चक्र छोड़ दिया। सुदर्शन चक्र अम्ब्रीष ऋषि के चरण छू कर वापिस दुर्वासा ऋषि को मारने के लिए दुर्वासा की तरफ ही चल पड़ा। दुर्वासा ऋषि ने सोच लिया कि तुने बहुत बड़ी गलती कर दी है। लेकिन अधिक समय न रहते देख दुर्वासा सुदर्शन चक्र के आगे-2 भाग लिया। भागता-2 श्री ब्रह्मा जी के पास गया और बोला कि हे भगवन ! कृप्या आप मुझे इस सुदर्शन चक्र से बचाओ। इस पर ब्रह्मा जी बोले कि ऋषि जी यह मेरे बस की बात नहीं है। अपने सिर पर से बला को टालते हुए कहा कि आप भगवान शंकर के पास जाओ। वे ही आपको बचा सकते हैं। यह सुनते ही दुर्वासा ऋषि, भगवान शंकर के पास गया और बोला कि हे भगवन् ! कृपा करके आप मुझे इस सुदर्शन चक्र से बचाओ। इस पर भगवान शिव ने भी ब्रह्मा की तरह टालते हुए कहा कि आप श्री विष्णु भगवान के पास जाओ। वही आपको बचा सकते हैं। यह सुनते ही भगवान विष्णु जी के पास जाकर दुर्वासा ऋषि ने कहा कि हे भगवन ! आप ही मेरे को इस सुदर्शन चक्र से बचा सकते हो वरना यह मेरे को काट कर मार डालेगा। इस पर भगवान विष्णु जी ने कहा कि हे ऋषि जी ! यह सुदर्शन चक्र आपको क्यों मारना चाहता है ? दुर्वासा ऋषि ने उपरोक्त सारी कहानी बताई तब विष्णु जी ने कहा कि हे दुर्वासा ऋषि ! यदि आप उसी अम्ब्रीष ऋषि के चरण पकड़ कर माफी मांगो तो यह सुदर्शन चक्र आपकी जान बख्स सकता है अन्यथा मैं तो क्या कोई भी देव आपको नहीं बचा सकता। इसका दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है। मरता क्या नहीं करता ? तब दुर्वासा ऋषि वापिस जाकर अम्ब्रीष ऋषि के चरण पकड़ कर रोने लगा और हृदय से माफी मांगी। तब अम्ब्रीष ऋषि ने वह सुदर्शन चक्र अपने हाथ में पकड़ कर दुर्वासा ऋषि को दिया और कहा कि संतों/ऋषियों के साथ बेअदबी कभी नहीं करनी चाहिए। उसका परिणाम बहुत बुरा होता है।


“श्री कृष्ण गुरु कसनी हुई और बचेगा कौन”


जब श्री कृष्ण जी के गुरु श्री दुर्वासा जैसे ऋषियों की ये हालत है तो फिर आम आदमी कैसे बच सकता है?

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